– नाहिद खान
किच्छा – ऊधम सिंह नगर जिले की किच्छा विधानसभा हमेशा चर्चा में रही है, इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश रावत भी अपनी किस्मत आज़मा चुके है। वर्तमान में इस सीट से कांग्रेस के तिलक राज बेहड़ निर्वाचित हुए है।
किच्छा विधानसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद तिलक राज बेहड़ अस्वस्थ हो गये थे,उनको इलाज कराने और स्वस्थ होने में काफी आराम करना पड़ा। इस बीच उनके बड़े पुत्र गौरव बेहड़ ने न केवल क्षेत्र की जनता की समस्याओ के निराकरण के लिये पिता तिलक राज बेहड़ के विधानसभा क्षेत्र में विधायक प्रतिनिधि बनकर काम किया बल्कि एक पुत्र का फ़र्ज़ भी बखूबी निभाया।
वैसे गौरव राज बेहड़ के पिता तिलक राज बेहड़ ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अपने गॉव से की और काफी संघर्षमय जीवन जिया। जब उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की तो पलट कर नहीं देखा। 1991 में हल्द्वानी विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, वो कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी से पराजित हो गए थे। 1993, 1996 में वो विजयी हुए। कांग्रेस में शामिल होने के बाद रुद्रपुर-किच्छा विधानसभा से 2002,2007, 2017 में विजयी हुए। वर्तमान में वो किच्छा विधानसभा से निर्वाचित हुए है।
गौरव राज बेहड़ उम्र में भले ही काफी छोटे रहे हो ,लेकिन उन्होंने अपनी आँखों से राजनीतिक चौपड़ के उतार चढ़ाव को बखूबी देखा और समझा। अब वो अपने पिता के मज़बूत हाथ बनकर उभर रहे है। उन्होंने किच्छा विधानसभा क्षेत्र के सभी गॉवो का न केवल दौरा किया है बल्कि वहा की हर छोटी बड़ी समस्याओ के समाधान के लिये लगे हुए है।
गौरव राज बेहड़ की पत्नी गृहणी है और उनके एक पुत्री और एक पुत्र है, ऐसे में वो अपने पिता की राजनीतिक विरासत को समझने की कोशिश कर रहे है। जिससे वो भी अपने पिता की तरह एक मज़बूत जनाधार वाले नेता बन सके।
गौरज राज बेहड़ का कहना है कि उन्होंने सर्व प्रथम विधायक प्रतिनिधि के तौर पर क्षेत्र में स्वास्थ्य,शिक्षा और सड़को की मूलभूत समस्याओ के अलावा विधवा पेंशन जैसी समस्याओ को प्राथमिकता के आधार पर हल करवाने में योगदान दिया। गरीब कन्याओ के विवाह के लिए दस-दस हज़ार रूपये की राशि दस कन्याओ को दिलवाने में सहयोग दिया है।
उनका कहना है कि लगातार मैं ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जनहित से जुडी समस्याओ को सुनता हूँ और फिर पिता जी के साथ विचार विमर्श करके उनका समाधान करवाता हूँ। एक दिन फिर से विकास के मामले में किच्छा विधानसभा सबसे आगे रहेगी। उनके पिता की विकासिये सोच ही है कि 2022-2023 की विधायक निधि समाप्त हो गई है और 2023-2024 की विधायक निधि के ढाई करोड़ रूपये के प्रस्ताव जा चुके है।
गौरव बेहड़ की राजनीतिक सक्रियता से कई राजनीतिक कयास लगाये जा रहे है ? क्या वो अपने पिता की विरासत को संभालने की तैयारी कर रहे है ? या वो सिर्फ अपने पिता के मज़बूत हाथ बनकर उनके विकास कार्यो में मदद का रहे है।