


ऊधम सिंह नगर – उत्तराखंड के तराई इलाको में अब किसान आंदोलन ने नई शक्ल अख्तियार करनी शुरू कर दी है। यहां गॉवो में किसान विरोधी क़ानून का समर्थन करने वाले नेताओ का गाँवो में घुसने पर कानून का विरोध करने वाले किसानो ने बाकायदा बैनर और पोस्टर लगा कर कडा विरोध दर्ज करा दिया है। फ्लैक्सो पर साफ़ साफ़ लिखवा दिया है कि ”किसान विरोधी नेताओ का गॉव में आना सख्त मना है।”
अभी कुछ गॉवो में ऐसे पोस्टर और बैनर दिखाई दे रहे है,लेकिन धीरे धीरे यह विरोध तेज़ी से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। जिससे भाजपा नेताओ की नींद उड़ी हुई है। वो समझ नहीं पा रहे है कि कृषि क़ानून बिल पर किसानो का समर्थन करे या सरकार का ? ऊधम सिंह नगर जिले के बाजपुर तहसील के दो गॉव शिवपुरी ओर बाँसखेड़ा में किसानों ने किसान विरोधी कानूनों का समर्थन करने वाले नेताओं की गांव में एंट्री को पूरी तरह बैन कर दिया है।

बीती 5 जनवरी को ही ग्राम बांसखेड़ा के विजय नगलिया में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का किसानों ने जबरदस्त विरोध किया था। ग्रामीणों का आरोप था कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे लगातार किसान विरोधी कानूनों का समर्थन कर किसानो का विरोध कर रहे है।
यही नहीं, ऊधम सिंह नगर जिले के कई गांव में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों और कार्यकर्ताओं के साथ ही जनप्रतिनिधियों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। मामला काशीपुर के विधानसभा क्षेत्र के बघेला वाला गांव का है, जहां पर किसान विरोधी भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को चेतावनी देते हुए पोस्टर बैनर और होर्डिंग ग्रामीणों ने लगा दिए है। ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना है कि ”हमारे बघेलाबाला गांव में भाजपा नेता या कार्यकर्ता को गांव में घुसने नहीं दिया जायेगा। अगर पार्टी का कोई नुमाइंदा गांव में प्रवेश करता है, तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी”
कृषि कानून का विरोध करने वाले नेताओ ने चेतावनी दी है कि ”यदि केंद्र सरकार तीनो कृषि कानूनो को रद्द नहीं करती है तो आने वाले 2022 के चुनाव में भाजपा सरकार को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा”
वही किसानो के तीव्र विरोध पर भाजपा के प्रदेश सचिव का कहना है कि किसानो को कृषि कानूनों का विरोध करने के लिये भड़काया जा रहा है। कुछ राजनीतिक पार्टिया किसानों में भ्रम की स्थिति पैदा कर भाजपा नेताओ का कई गॉवो में प्रवेश बंद करा दिया है,जो अलोकतांत्रिक है। किसानो की आवाज़ सरकार सुन रही है, जल्द ही इसका हल निकल जायेगा।
बहरहाल जो भी हो, कृषि बाहुल्य तराई के किसानो में कृषि कानूनों को लेकर ज़बरदस्त आक्रोश है,धीरे धीरे अगर यह विरोध बड़ा हुआ तो भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में मुश्किलें पैदा कर सकता है।