– इंडिया नज़र ब्यूरो
ऊधम सिंह नगर – भाजपा द्वारा जिले के रुद्रपुर में कृषि कानून के समर्थन रैली के फ्लॉप होने पर भाजपा नेतृत्व खुद को असहज महसूस कर रहा है। अब वो यह समझने की कोशिश कर रहे है कि क्या ऐसी रैली करके भाजपा ने भूल की है। जिस तरह किसानों और उनके समर्थक दलों ने भाजपा पर हमला बोला है उससे कही न कही भाजपा कमज़ोर हुई है। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की ज़िद के सामने भाजपा के नेता भी लाचार है।
इस रैली में जिस तरह कुछ विधायको ओर बड़े नेताओं ने दूरियां बढाई थी,उससे स्पष्ठ है कि किसानों की मांग के वो भी कही न कही समर्थक है।
कांग्रेस के जिला महासचिव सुशील गाबा का कहना है कि संपूर्ण तराई की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है जिसे भाजपा की केंद्र सरकार अडानी – अंबानी के हाथों में सौंपना चाहती है। इसके लिए तीन काले कानूनों का निर्माण कर दिया गया है, इससे पूरे भारतवर्ष की कृषि के साथ-साथ तराई की कृषि भी पूरी तरीके से बर्बाद हो जाएगी, मंडी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और किसान अपना ही खेतों में मजदूर बन जाएगा। आज इन तीन काले कानूनों के खिलाफ पूरे देश के साथ साथ तराई के किसानों में भी भारी आक्रोश व्याप्त है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने तथाकथित मोदी मैदान में रैली करके किसानों के आक्रोश को भड़का दिया है। जहां अनेक भाजपा नेताओं, विधायकों व मंत्रियों तक ने अपनी समझदारी का परिचय देते हुए अपने आप को इस रैली पूरी तरह से दूर रखा, वही भाजपा के कुछ मंत्री, विधायक व स्थानीय नेता तराई के किसानों की आवाज को अनसुना कर रैली में पहुंच गए। ऐसा करके इन नेताओं ने अपने राजनैतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल कर दी है।
काँग्रेस जिला महासचिव सुशील गाबा ने आगे कहा कि बड़े से बड़ा नेता जनता के विश्वास एवं जनहित के कार्यों की बुनियाद पर खड़ा हो कर ही नेता बनता है। आज जब हर तरफ का किसान बेहद परेशान हैं और लगातार भारी ठंड में दिल्ली तक जाकर आंदोलन कर रहा है, ऐसे में कुछ नेताओं ने किसान रैली में जाकर अपने ऊपर से जनता का विश्वास पूरी तरीके से खत्म कर लिया है ।जिस जनता ने उनको चुनाव जिताया, आज वह उस जनता की आवाज सुनने के बजाय अपने संगठन के पिट्ठू बनकर कार्य कर रहे हैं। आज पूरी तराई यह देख रही है कि कौन सा नेता किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है और कौन किसान विरोधी नेता अपनी पार्टी की केंद्र सरकार के साथ खड़ा है । कांग्रेस नेता श्री गाबा नें कल किसान रैली में प्रतिभाग करने वाले सभी भाजपा नेताओं से अपील की कि उन्हें तत्काल अपनी भूल सुधार करते हुए तराई की जनता से सार्वजनिक माफी मांग लेनी चाहिए । यदि ऐसा नहीं करते तो यह समझा जाना चाहिए उन्होंने अपना राजनीतिक भविष्य हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर लिया है, क्योंकि जनता अपनी पीठ पर छुरा भोंकने वाले किसी नेता को सत्ता से हटाने और उसकी राजनीति खत्म करने की ताकत रखती है।