– अज़हर मलिक
ऊधम सिंह नगर – उत्तराखंड के जनपद ऊधम सिंह नगर में अक्सर तहसीलों में आपने देखा होगा कि पटवारी वाले कक्षों में अक्सर प्राइवेट लड़के भी बैठे हुए दिखाई दे जाएंगे। जो चर्चाओं का विषय बन जाते हैं, पटवारियों के साथ प्राइवेट लड़के कितने सही कितने गलत इसी पर जीरो ग्राउंड की रिपोर्ट हम आपके सामने पेश कर रहे हैं कि आखिर क्यों पटवारी इन प्राइवेट लड़कों से अपने काम में मदद लेते है :-
जनपद ऊधम सिंह नगर घनी आबादी वाला क्षेत्र है जिसमें राजस्व विभाग पर उत्तराखंड की सरहदों से लेकर स्थाई जाति आय प्रमाण पत्र, जमीनों से जुड़ी समस्याएं वीoआईoपीo दफ्तरों के काम से लेकर फील्ड के कामों की जिम्मेदारियों के साथ और भी अन्य दर्जनों भर से अधिक जिम्मेदारियां पटवारियों को निभानी होती हैं। हजारों ,लाखों की संख्या में रोज स्थाई जाति आय प्रमाण पत्र, आवेदन होते हैं और इन आवेदन हुए प्रमाण पत्रों को जल्द से जल्द निपटाना भी होता है, क्योंकि इन प्रमाणपत्रों में नौनिहालों की जिंदगी नौजवानों का करियर दांव पर लगा होता है और इनको जल्दी से जल्दी निपटा एक अकेले पटवारी के बस की बात नहीं है।
इसलिए पटवारी इन प्रमाणपत्रों की जांच रिपोर्ट में मदद के लिए LLB या किसी दूसरी शिक्षण संस्थाओ में नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, विद्यार्थियों को अपना प्रशिक्षण बना लेते हैं, लोकल के बने यह सूत्र पटवारियों के लिये काफी मददगार होते है। पटवारी के निर्देशानुसार जांच में मदद करते हैं, क्योंकि प्रमाण पत्र को जल्द से जल्द तैयार करना होता है। इसमें लोगों की जिंदगी का भविष्य दांव पर लगा होता है,
आप ही सोच कर बताइए क्या पटवारियों के पास अपने प्राइवेट छात्रों का होना सही है या गलत ? यह ही छात्र ट्रांसफर हुए पटवारी को क्षेत्र को समझाने में भी मददगार होते है साथ ही अपनी नौकरी की तैयारी भी करते रहते है।
राजस्व विभाग में कामों को निपटाने शिक्षा पा रहे छात्र काफी मददगार होते है। उदाहरण के लिए एक पटवारी के पास रोज 1000 प्रमाण पत्रों का आवेदन होता है और इस आवेदन में कुछ आवेदन ऐसे होते हैं, जो समय पर नहीं हुए तो किसी के कैरियर पर फुलस्टॉप लग जाएगा, लेकिन शिक्षा पा रहे यह छात्र जहाँ पटवारियों के साथ राजस्व की बारीकियां सीखते है वही यह अतवारियो की जांच में मदद भी करते है। ऐसे में आमजन की सुविधाओं को त्वतरित करने में पटवारी इन छात्रों की मदद लेते हैं तो इसमें गलत क्या है ?
जनपद , उधम सिंह नगर उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है और अक्सर हमने अपने आस-पड़ोस और मीडिया के माध्यम से सुना होगा कि उत्तर प्रदेश के निवासी दलालों की मदद से उत्तराखंड में आकर अपने स्थाई जाति, आय प्रमाण पत्र जैसे आवेदन कर देते हैं, जिनके मंसूबों पर पटवारियों के यह प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्र पानी फेर देते हैं और उनकी ठेकेदारी बंद हो जाती है।
फिर इन पटवारियों के सूत्रों को तोड़ने के लिए योजनाएं बनाते हैं, और उच्च अधिकारियों को पटवारियों के खिलाफ गलत फीडबैक देते है, अधिकारियों को बताया जाता है ,कि प्राइवेट लड़के प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर पैसे मांगते हैं।
दरअसल इस बात से तो हम सब वाकिफ है, मोदी जी के डिजिटल जमाने में सारे काम ऑनलाइन ही होते हैं,तो फिर प्राइवेट लड़कों को शासन पटवारी सहायक के पद सृजित कर उनको रोज़गार देने की दिशा में काम क्यों नहीं करता ? सिर्फ काम सीखने वाले छात्रों का विरोध क्यों है ? यह विचारणीय प्रश्न है। इस दिशा में जनप्रतिनिधियों को भी गंभीरता से देखना चाहिए।