– अज़हर मलिक
काशीपुर – काशीपुर की राजनीति कुछ अलग ही रही है, यहां चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए जूठे वादों के ऐसे मंत्र फूंके जाते है जिससे मतदाता मंत्रमुग्ध होकर उनके पक्ष में मतदान करता रहा है।
इस बार भी विधानसभा चुनाव में फिर से घोषणाओं का मजमा ओर मंच लगा कर मतदाताओं को झूठे वादों के मंत्रो से जनता को खूब लुभाया जा रहा है। अब तक 20 सालों तक आमजनता जिस मंत्र से वशीभूत रही थी ,क्या अब भी जनता उन्ही मंत्रों के वशीकरण में रहेगी या वशीकरण से बाहर निकलेगी ओर परिवर्तन का शंखनाद करेगी ?
जिस मंत्र से 20 सालों तक विधानसभा में अपनी सीट पक्की कर बैठे रहे भाजपा विधायक दरअसल वो मूल मंत्र उन विकास के दावों के थे। जो कभी पूरे नहीं हुए, और इस बार उनकी जगह उनके बेटे चुनावी मैदान में हैं, जो फिर से जनता के सामने वहीं मंत्र फूंक कर वशीकरण करने की जुगत में लगे हुए है।
दरअसल काशीपुर में जीत के जो मूल मंत्र थे, उनमें काशीपुर में जलभराव से निजात दिलाना, द्रोणा सागर जैसे पौराणिक स्थल का सौंदर्यीकरण और नैनीताल की तर्ज पर गिरीताल को विकसित करना, काशीपुर को जिला बनाना। लेकिन इनमें से कोई भी काम भाजपा विधायक नहीं कर पाये, और अब ये मूल मंत्र अर्थात वादे भाजपा की घोषणाओं से गायब होते जा रहे हैं।
लेकिन इस बार के चुनावी समर में जनता भाजपा विधायक के इस मंत्र से ज्यादा आम आदमी की गारंटियों से ज़्यादा प्रभावित दिख रही है, जिसमें जलभराव से निजात दिलाने के साथ ही पौराणिक धरोहरों को पहचान दिलाना और काशीपुर को जिला बनाने जैसे मुद्दों को केजरीवाल की घोषणाओं मे प्राथमिकता में है।
काशीपुर क्षेत्र में पिछले 20 सालों तक जिस मूल मंत्र यानी वादों पर भाजपा विधायक चुनाव जीतकर आते रहे आज वो मूल मंत्र भाजपा की प्राथमिकता से गायब है, जनता अब इन मंत्रों के वशीकरण से बाहर आकर बदलाव का मन बना रही है, अब देखना होगा कि क्या वशीकरण के मंत्रों से जनता फिर मंत्रमुग्ध होगी, या आम आदमी पार्टी की गारंटियों का जादू जनता पर चलेगा इसका इंतेज़ार 10 मार्च तक करिये ?