
- सपा के के कद्दावर नेता आज़म खान को सजा के साथ 6 हज़ार का जुर्माना भी लगाया।
- कोर्ट ने आज़म खान को ज़मानत दी।
- आज़म खान की विधायकी खतरे में।
- आज़म खान मजिस्ट्रेट ट्रॉयल कोर्ट के फैसले के खिलाफ करेंगे अपील।

रामपुर – उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रहे सपा के कद्दावर नेता आज़म खान को आज रामपुर की एमपी एमएलए मजिस्ट्रेट (ट्रॉयल कोर्ट) निशांत मान ने हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा और 6 हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया है। इस फैसले से राजनीतिक हलचल मच गई है।
हालांकि बाद में आज़म खान को इस मामले में ज़मानत मिल गई, उनके अधिवक्ताओ का कहना है कि अब वो इस मामले में जिला अदालत में अपील दायर करेंगे। उनकी विधायकी पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे है।

आपको बता दे कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जब वो सपा-बसपा के गठबंधन के प्रत्याशी थे,तब उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान मिलक थाना क्षेत्रान्तर्गत खाता नगरिया में जनसभा के दौरान कथित रूप से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के अलावा रामपुर के तत्कालीन डीएम आंजनेय कुमार सिंह को लेकर भड़काऊ एवं आपत्तिजनक भाषण दिया था। उनकी यह वीडियो वायरल होने के बाद वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से मामले की रिपोर्ट मिलक कोतवाली में दर्ज कराई गई थी। जिसपर यह मामला चल रहा था। इस मामले में आज निर्णय आया था। सुनिए इस फैसले पर सपा विधायक आज़म खान ने क्या कहा है।
बाईट-आज़म खान- मपूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सपा विधायक रामपुर
ज्ञातव्य है कि 9 अप्रैल 2019 को आज़म खान के खिलाफ हेट स्पीच मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था,जिसकी 15 अक्तूबर को अभियोजन की बहस पूरी हो गई थी। इस मामले में 27 अक्तूबर 2022 को फैसले की तारीख तय की थी।
आज़म खान कथित रूप से अपनी बदज़ुबानी और अभद्र टिप्पणियों के लिये काफी मशहूर है, लेकिन यही बदज़ुबानी अब उन्हें भारी पड़ गई। कोर्ट ने उन्हें आईपीसी धारा 153-ए, 505-ए और 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दोषी माना और उन्हें तीन साल की सजा और 6 हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया है। इस मामले में आज़म खान के अधिवक्ता का कहना है कि फैसले की नक़ल मिलने के बाद इसपर अग्रिम कार्यवाही करेंगे।
आज़म खान के अधिवक्ता
उधर आज़म खान को सज़ा सुनाये जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओ और आज़म खान के विरोधियो ने खुशिया मनाई है। अब देखना है कि आज़ाम खान की विधायकी जाती है या कानूनी ढाल से वो अपनी विधायकी बचा पाते है या नहीं। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा