
ऊधम सिंह नगर – उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगी उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ऐसा क्या मास्टर प्लान बना रहे है। जिससे सत्ताधारी भाजपा से लेकर सत्ता का सपना देखने वाली कांग्रेस संघठन में खलबली मची हुई है।

उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और छोटे राज्य में अपनी पार्टी की पैठ बढ़ाने के लिये जब राज्य में अपने कार्यकर्ताओ का सदस्यता अभियान चलाया। राज्य में मतदाताओं को लुभाने के लिये आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड में सरकार बनने पर तीन सौ यूनिट फ्री में देने का एलान कर दिया। इसके बाद दूसरी घोषणा बेरोजगारी भत्ता और उसके बाद महिलाओ को एक हज़ार रूपये देने का एलान किया तो राज्य के सत्ताधारी पार्टी ने भी कई फैसले तबाड़तोड़ कर दिये।
लेकिन आम आदमी पार्टी इसके बाद भी चैन से नहीं बैठी और उसने अपने सर्वे के बाद यहां के मतदाताओं की समस्याओ को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। जिसमे प्रमुख है राज्य का धार्मिक होना। हिन्दू धर्म के चार धाम यही है,देश विदेश के श्रद्धालु काफी संख्या में चार धाम की यात्रा पर आते है और दर्शन करते है। आम आदमी पार्टी ने वाकायदा उत्तराखंड को हिन्दुओ की आध्यात्मिक राजधानी बनाने के समर्थन माँगा। एक तरह से आम आदमी पार्टी ने यहां की जनसंख्या के अधिकाँश हिन्दू वोटर होने पर हिन्दू कार्ड खेल दिया।
इससे दूसरी पार्टी के हिंदूवादी नेता और जिन नेताओ को सत्ताधारी और विपक्षी कांग्रेस से नाराज़गी थी वो सारे नेता आम आदमी पार्टी से जुड़ कर इस पार्टी का कुनवा मज़बूत करने में लगे हुए है। राज्य में उत्तराखंड आंदोलन खड़ा करने वाली उत्तराखंड क्रान्ति दल का वजूद लगभग ख़त्म ही हो चुका है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का भी यहां कोई ख़ास जनाधार अब नहीं रहा है। ऐसे में राज्य में ताज़ा ताज़ा आई आम आदमी पार्टी बहुत तेज़ी से तीसरे विकल्प के रूप में उभर रही है। दिल्ली मॉडल से आम मतदाताओं को अपनी और आकर्षित कर रही है।
सिसौदिया का मास्टर प्लान
अरविन्द केजरीवाल के बाद आम आदमी पार्टी के सबसे शक्तिशाली और उनके विश्वासपात्र दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को उत्तराखंड में संघठन को मज़बूत करने की जिम्मेदारी सौपी गई है। रुद्रपुर में 19 दिसंबर को रुद्रा होटल में आयोजित बिजनेस डायलॉग अर्थात व्यापारी संवाद उनकी रणनीति का एक हिस्सा है। जिसे आप आदमी पार्टी जनसरोकार से जुड़े मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में प्रमुख स्थान देने जा रही है।
भाजपा में ऊपरी तौर पर सब कुछ सही लग रहा हो,लेकिन वहा भी अंदरूनी रूप से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सीनियर नेता को न बैठाकर एक युवा को बैठने से भी बगावत के बुलबुले उठ रहे है। वही सत्ता का स्वाद चख चुकी कांग्रेस के भीतर ही काफी गुटबाजी है। हरीश रावत एकमात्र ऐसे नेता है जो कांग्रेस की नैया पार लगाने की कोशिश में लगे हुए है।
वैसे चुनाव की तारीखे बहुत नज़दीक है,ऐसे में देखना यह होगा कि आम आदमी पार्टी के आने से सत्ताधारी पार्टी पुनः किला फतह कर पायेगी ? क्या उसका वोट शेयर घटेगा ? या कांग्रेस बाज़ी मारेगी ? जो भी हो इस बार उत्तराखंड में दावों वादों के विपरीत कुछ नया गुल भी खिल सकता है।