– विक्की रस्तोगी
चंडीगढ़ – पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा है कि यदि कोई विवाहित व्यक्ति पहले तलाक लिए बिना लिव-इन रिलेशनशिप में जाता है तो उस पर द्विविवाह के अपराध के लिए मामला दर्ज किया जा सकता है।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अशोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने एक महिला द्वारा दायर याचिका में की थी, जो अपने पति से तलाक लिए बिना लिव-इन रिलेशनशिप में आ गई थी। अदालत के समक्ष, महिला और उसके साथी ने प्रतिवादी संख्या 1-3 से सुरक्षा का अनुरोध किया।
अभिलेखों को देखने के बाद, न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता-महिला कानूनी रूप से प्रतिवादी संख्या 4 से विवाहित थी, लेकिन तलाक प्राप्त किए बिना, वह याचिकाकर्ता संख्या 2 के साथ एक व्यभिचारी और वासनापूर्ण जीवन जी रही थी।
कोर्ट के अनुसार, महिला की हरकत आईपीसी की धारा 494 और 495 के तहत अपराध हो सकती है। कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, क्योंकि यह एक अपराध के कमीशन के खिलाफ सुरक्षा के समान होगा।
एक अन्य मामले में, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक जोड़े द्वारा लिव-इन रिलेशनशिप में दायर की गई सुरक्षा याचिका को खारिज कर दिया। उस मामले में, अदालत ने पाया था कि दंपति अपने-अपने जीवनसाथी से तलाक लिए बिना एक वासनापूर्ण जीवन जी रहे थे।
इलाहाबाद के उच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप देश के सामाजिक ताने-बाने की कीमत पर नहीं हो सकता है और एक विवाहित महिला द्वारा दायर सुरक्षा याचिका को खारिज करने के लिए आगे बढ़ा, जो अपने साथी के साथ रह रही थी।