– इंडिया नज़र ब्यूरो
देहरादून – अगले कुछ दिनों में यह साफ़ हो जायेगा कि कद्दावर नेता यशपाल आर्या के बाद भाजपा के कुछ विधायक या कोई मंत्री कांग्रेस में शामिल होता है अथवा नहीं ? लेकिन राजनीतिक हलकों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि आने वाले समय में काफी उठा पटक होने वाली है और उत्तराखंड का राजनीतिक परिदृध्य काफी बदल सकता है। यह उत्तराखंड का इतिहास रहा है कि भाजपा और कांग्रेस बारी बारी से सत्ता पर काबिज़ होते रहे है। लेकिन इस बार भी क्या राज्य में बदलाव होगा या इतिहास बदल कर फिर से भाजपा सत्ता में आयेगी ? यह अभी नेपथ्य में है। हालांकि अभी कुछ कहना या कोई आकलन करना जल्दबाज़ी होगा,लेकिन जिस तरह से राज्य की तराई क्षेत्र में किसान भाजपा से नाराज़ है। आम आदमी महंगाई की मार झेल रहा है,बेरोज़गारो के सामने रोजगार की समस्याये है। पाँच साल में तीसरा मुख्यमंत्री बनाया गया है ,इसको लेकर भी चर्चाये गर्म है कि भाजपा सत्ता में होते हुए भी आम मतदाताओं के बीच अपनी अच्छी छवि बनाने में नाकामयाब रही है। तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में युवा पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौपी गई है,हालांकि वो ताबड़तोड़ फैसले ले रहे है लोगो के बीच विकास का सन्देश देने की कोशिश में लगे हुए हुए है। इसके बाद भी जिस तरह भाजपा के वरिष्ठ नेताओ में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद बगावत के सुर उठे है उसको भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। भले ही यह बगावत ऊपरी तौर पर न दिख रही हो। लेकिन राजनीतिक नब्ज़ देखने वालो का कहना है कि चुनाव होने से पहले काफी कुछ बदलेगा। जो भी हो, सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी चौपड़ बिचानी शुरू कर दी है,ऐसे में देखना होगा कि उत्तराखंड के क्या राजनीतिक समीकरण बनते है ?