
– पुत्र मोह में विधायक चीमा का यू टर्न– बेटे का मोह दिखा कर पार्टी से टिकट मांग रहे चीमा– संघ और संगठन के आगे चीमा की दावेदारी रही हमेशा प्रबल– दिग्गज नेताओं के अरमानों पर हर बार चला हंटर

काशीपुर – अपने बयानों पर टिके रहना मानों भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा को नहीं आता है, यही वजह है कि हर बार अपनी ही बातों से पलट जाते हैं। ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ जब विधायक चीमा अपने ही बयानों से पलटी मार लेते हैं, अपने बयानों से यू टर्न लेने वाले विधायक चीमा हर बार आखिर ऐसा क्यों करते हैं, क्या चर्चा में रहने के लिए, या वो जनता की भावनाओं के साथ हर बार खिलवाड़ करते हैं, जो भी हो मगर दिलचस्प है विधायक जी का अपनी ही बातो से पलटना, इस बार कैसे पलटे विधायक जी देखिये हमारी ये खास रिपोर्ट :-
ये है काशीपुर के भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा, जो चार बार से काशीपुर के विधायक है, और ये माननीय विधायक जी अकाली गठबंधन से भाजपा का टिकट काशीपुर सीट से लेते रहे हैं,भाजपा के नेतृत्व में चुनाव में जीत दर्ज करते रहे है। विधायक चीमा जी की दावेदारी हर बार मजबूत रही है,यही वजह है की कई दिग्गज भाजपाईयों की संघ की सेवा और भाजपा में कर्मठ कार्यकर्ताओं को कभी इस सीट पर तवज्जों नहीं मिल पायी।
वहीं अब भाजपा हाई कमान के बदले रुख से विधायक चीमा को जहां टिकट मिलने की उम्मीदे कम लग रही है, वहीं चीमा अपने बेटे का चेहरा सामने रख कर पार्टी से टिकट की दावेदारी ठोक रहे है,यही नहीं बडबोले चीमा ने ये तक कह दिया था कि वो कभी पार्टी के सामने टिकट के लिए खडे नहीं हुए बल्कि पार्टी ने उन्हे खुद उनकी काबलियत के अनुसार टिकट दिया था, वहीं अब पुत्र मोह में चीमा टिकट के लिए दावेदारों की कतार में खडे हो गये हैं।
जबकि कुछ दिन पहले ही चीमा ने कहा कि उनके बेटे का राजनीति से कोई मतलब नहीं है, और न ही वो चुनाव लडने का ही इच्छुक है। लेकिन जब खुद का टिकट कटता दिखा तो आज अपने ही बयानों से यू टर्न करते हुए चीमा बेटे के लिए टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं। जो बेटा कभी जनता के सामने नहीं आया आज दावेदारी के लिए खडा हो गया है।
लोग सवाल उठा रहे है कि जो बेटा महज कुछ दिन पहले राजनीति से दूर था वो अचानक दावेदार कैसे हो गया और जो चीमा कभी पार्टी के पास टिकट मांगने नहीं गया ? वो कैसे आज टिकट की लाईन में खडे हो गये, ये काफी दिलचस्प है।
चाहे जुबान फिसलने के नाम पर अपनी बात से मुकरना हो या अपनी ही बात का दूसरे तरीके से मतलब समझा कर यू टर्न लेना हो ये भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा को बेहतर तरीके से आता है। लेकिन जब कुछ दिन पहले चीमा जी के बेटे का राजनीति से कोई ताल्लुक नहीं था और न चुनाव लड़ने की कोई मंशा थी। तो फिर अचानक वो बेटा कैसे भाजपा से टिकट की दावेदारी में खडा हो गया, और जो चीमा जी कभी पार्टी के पास टिकट मांगने नहीं गये, वो क्यों आज टिकट के लिए पार्टी के सामने हाथ फैला रहे है, इसे पुत्र मोह कहें या कुर्सी की चाह जो इतना बदल गये विधायक जी।