– संजय नागपाल
देहरादून – पिछले पाँच वर्षों में उत्तराखंड में इतिहास में सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री थोपने का रिकॉर्ड बनाया गया। यह वास्तव में पहली बार हुआ जब केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी किसी एक राजनेता पर अपना पूर्ण विश्वास नही जताया। इसे वास्तव में खेदजनक ही कहा जायेगा कि पहले लगभग चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद एक ईमानदार व्यक्तित्व त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत को दूसरा मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद भी हाई कमान को तीसरे मुख्यमंत्री की घोषणा करनी पड़ी।
कुलमिलाकर प्रदेश पहले ही भयंकर कर्ज में डूबा हुआ है।इस पर अनेक मुख्यमंत्रियों को थोपना पूरी तरह से अनैतिक ही कहा जायेगा। सत्तासीन राजनीतिक दलों को समझना होगा कि लगभग 72 हज़ार करोड़ का ऋण लेकर राज्य को नेपथ्य में तो नही धकेल रहे हैं..विगत दिनों सी.ए.जी ने भी ऑडिट में सरकार को एक वर्ष के भीतर 5100 करोड़ का कर्ज बाजार से ऊँची ब्याज़ दरों में लेने पर भी अपनी आपत्ति जताई है।
अब प्रदेश की जनता को ही सोचना होगा कि कर्ज में डूबते उत्तराखंड को कैसे बचाया जाये ..? क्योंकि सत्तासीन होने के बाद इन राजनेताओं से कर्ज न लेने की अपेक्षा करना पूरी तरह से बेईमानी ही होगा…
सोशल मीडिया – फेसबुक से साभार