– इंडिया नज़र ब्यूरो
नई दिल्ली – अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर संघर्ष पर आधारित सबसे अधिक गहन शोध तथा सबसे अधिक पृष्ठों के पुस्तक का लेखन-कार्य किया जा रहा है। इस पुस्तक के लेखक भारत सरकार में रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट तथा कुमार सुशांत हैं। यह पुस्तक हिन्दी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद हो रहा है तथा इसका 21 देशों में विमोचन किया जाना है। इसी विषय को लेकर आज केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट एवं कुमार सुशांत प्रधानमंत्री से मिले।
प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक पुस्तक के लेखन-कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह काफी अच्छा प्रयास है। उन्होंने इस विषय पर अपना मार्गदर्शन भी दिया।इतिहास के लिए संकलित किए जाने वाले इसपुस्तक की जानकारी देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि इस पुस्तक में अयोध्या में श्रीराम मंदिर संघर्ष के अलावा भारतीय भाषाओं में रामकथा समेत भगवान राम, मां सीता तथा प्रभु के मानव कल्याण संदेशों पर आधारित आलेखों को विशेष तौर पर संग्रहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा किइस पुस्तक में करीब एक हज़ार पृष्ठों के संकलन का कार्य लगभग संपूर्ण हो चुका है, शेष 108 पृष्ठ पर कार्य भी तेज गति से चल रहा है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने अपने देश को पहली बार विश्व-गुरु बनने की तरफ द्रुत गति से बढ़ाया है और उनके मार्गदर्शन में जब हम इस पुस्तक का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार करेंगे, तो निस्संदेह इस पुनीत कार्य से भारत की गौरव-गाथा, संस्कृति और भगवान के मानव-कल्याण संदेश के प्रसार में एक और अध्याय जुड़ेगा, जिससे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि पीएम से मिले मार्गदर्शन के बाद इस पुस्तक को एक नई दिशा मिलेगी। इस पुस्तक की सामग्री के विषय में जानकारी देते हुए कुमार सुशांत ने बताया किपुस्तक में अयोध्या की पौराणिक महत्ता, श्रीराम मंदिर संघर्ष की गाथा, व्यापक शोध संबंधित तथ्य व कानूनी प्रक्रिया, भगवान केमानव-कल्याण संदेश के साथ आने वाली युवा पीढ़ी को इससे प्रेरणा तथा पुस्तक में जाने-माने संत, समाजसेवी, श्रीराम मंदिर संघर्ष में योगदान देने वाले राजनीतिक या गैर-राजनीतिक दल या व्यक्ति-विशेष तथा प्रभु श्रीराम में अटूट आस्था व इस दिशा में सतत् कार्य करने वाले महानुभावों के आलेखों को संग्रहित किया जा रहा है।
सुशांत ने मा. प्रधानमंत्री को पुस्तक के एक आलेख ‘प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प’ के विषय को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि वह पहली बार प्रधानमंत्री से मिले और इससे पहले वह केवल सुना करते थे कि प्रधानमंत्री का विजन हर विषय पर एक अलग ही दूरदर्शी होता है और उन्होंने मुलाकात के दौरान आज यह प्रत्यक्ष देख भी लिया। बता दें कि इस पुस्तक को ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ (ट्रस्ट) के बैनर तले प्रकाशित किया जाएगा। काउंसिल में बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के अध्यक्ष केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट हैं तो वहीं इस काउंसिल के संस्थापक कुमार सुशांत हैं।
इन संतों का पुस्तक में है विशेष सानिध्य
इस ऐतिहासिक पुस्तक में जाने-माने कथावाचक पद्मविभूषण स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज प्रेरणा-स्रोत की भूमिका में हैं तो वहीं मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित माता बगलामुखी मंदिर प्रांगण के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी संदीपेंद्र जी महाराज मुख्य संरक्षक हैं। इसकी सलाहकार समिति में विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर.एन. सिंह, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य श्री कामेश्वर चौपाल, सुप्रीम कोर्ट में इस विषय की सुनवाई के दौरान श्रीरामलला के सखा श्री त्रिलोकीनाथ पाण्डेय, महापण्डित चंद्रमणि मिश्र, अयोध्या में रानोपाली स्थित उदासीन आश्रम के महंत स्वामी भरत दास जी महाराज, गोस्वामी सुशील जी महाराज समेत कई धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्रों से जाने-माने लोग शामिल हैं।
काउंसिल ने पिछले वर्ष किया था डिजिटल रामलीला का मंचन
‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ नेबीते वर्ष 2020 में 17-25 अक्टूबर के दौरान कुछ सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर‘डिजिटल रामलीला मंचन’ भी आयोजित किया था। कोरोनाकाल में लोग घर बैठकर डिजिटल रामलीला का आनंद ले सकें, इस उद्देश्य से बनाई गई ढाई घंटे की डिजिटल रामलीला में 130 कलाकारों ने हिस्सा लिया था, जिसकी सराहना भारत सरकार के कई माननीय मंत्रियों ने की थी और देश के 26 माननीय सांसद इस मुहिम से जुड़े। तो वहीं AICTE जैसी संस्थाओं ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से इस डिजिटल रामलीला मंचन को पोस्ट कर कोरोना काल के दौरान लाखों छात्रों के बीच प्रभु श्रीराम के लोक कल्याण संदेशों का प्रसार-प्रचार करने का पुनीत कार्य किया था। इस डिजिटल रामलीला मंचन को मौजूदा केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट की अध्यक्षता में ही प्रसारित किया गया था।