– नाहिद खान
देहरादून – उत्तराखंड के ताज़ा ताज़ा बने नये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुर्सी संभालते ही कई मिथक तोड़े है। जिसमे से एक है कैंट रोड पर आलीशान बने मुख्यमंत्री आवास को अपना बसेरा बनाना। इसके वारे में अन्धविश्वास की इतनी कहानियाँ गढ़ दी गई थी, कि कोई भी मुख्यमंत्री अब इसमें रहने से पहले सोचने लगा है। जिन मुख्यमंत्रियों ने इसे अपना आवास बनाया उनको अपनी कुर्सी गवानी पड़ी। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वैज्ञानिक युग में ऐसे किसी अंधविश्वास को दरकिनार कर रहने का निर्णय कर लिया है।
आप को बता दे कि कैंट रोड पर बने इस आलीशान मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कांग्रेस शासन में नारायण दत्त तिवारी सरकार ने कराया था। इसको भव्य बनाने के लिये कारीगरों ने ख़ूबसूरत डिज़ाइनों से इसे सवारा था। जो देखते ही बनता है,लेकिन जब यह बँगला बना तो तिवारी सत्ता से बाहर हो चुके थे। वो इसमें रहने नहीं आ सके।
इस बंगले की रंगत 2007 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद शुरू हुई,तब बीसी खंडूरी राज्य के मुखिया बने थे। सबसे पहले वो ही इस बंगले में रहने आये। यह महज़ इत्तिफाक था या कुछ राजनीतिक कारण कि ढाई साल के बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। उसके बाद रमेश पोखरियाल मुख्यमंत्री बने,उन्होंने भी इसे ही अपना आवास बनाया। बदले राजनीतिक हालातो की वजह से उन्हें भी कुछ समय बाद अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। फिर खंडूरी है ज़रूरी नारे के साथ खंडूरी मुख्यमंत्री बने और इसी में रहे।
उत्तराखंड विधानसभा 2012 के आम चुनाव में बीसी खंडूरी अपनी बेदाग़ छवि के बाद भी मुख्यमंत्री रहने के बाद भी विधायक का चुनाव हार गये। लेकिन कांग्रेस के विजय बहुगुणा 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद इसी बंगले में रहे। लेकिन कुछ समय बाद उनकी विदाई हो गई।
नए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बंगले की तरफ देखना भी मुनासिब नहीं समझा और राज्य का कामकाज बीजापुर गैस्ट हाउस से ही किया। तब से लोगो के बीच ऐसी चर्चा कर दी गई कि जो भी इस बंगले में रहेगा वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायेगा।
2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने और इसी बंगले में रहे,लेकिन वो अपने चार साल के कार्यकाल का जश्न मनाने से पहले ही हटा दिये गये। तीरथ सिंह रावत तो इसमें रहने ही नहीं आये।
राज्य के नये ऊर्जावान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अंधविश्वास को नहीं माना और कुछ पूजा अर्चना के बाद इसमें रहकर राज्य की बागडोर संभल रहे है।
राज्य की अस्थाई राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री आवास पर करीब 27 करोड़ रूपये खर्च हुए थे। इसके रखरखाव का जिम्मा राजस्व विभाग के जिम्मे है। कभी वास्तुदोष तो कभी अभिशप्त,अपशुकनी कह कर लोग अंधविश्वास को बढ़ावा देने का काम कर रहे है। लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने कई ऐसे अंधविश्वास के मिथक तोड़े है और राज्य को विकास की दिशा में नई सोच के साथ ले जाने की कोशिश कर रहे है। देखना यह होगा कि वो राज्य में और कितना अंधविश्वास तोड़ पाते है।