

नई दिल्ली – आखिरकार कई दिनों से चल रहे घटनाक्रम का आज पटाक्षेप हो गया उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना त्यागपत्र सौप कर राज्य की कमान किसी दूसरे को सौपने की पहल कर दी। लेकिन इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। ऐसा समझा जा रहा है कि दिल्ली से वापस आकर तीरथ सिंह रावत पूरी स्थिति स्पष्ट करेंगे। अभी सब कयास ही लगाये जा रहे है। वही सतपाल महाराज को दिल्ली तलब करने से ऐसी प्रबल संभावनाये व्यक्त की जा रही है कि राज्य की अगली कमान सतपाल महाराज संभाल सकते है। देखना दिलचस्प होगा कि राज्य का नेतृत्त्व परिवर्तन के बाद भी क्या भाजपा के भीतर पनप रहा असंतोष ठंडा पड़ेगा ?
आप को बता दे कि तीरथ सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं है,ऐसे में उन्हें उप चुनाव लड़कर विधानसभा का सदस्य बनना पड़ता। लेकिन अगले कुछ महीनो में ही विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में मुख्यमंत्री को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी के प्रबल विरोध का सामना करना पढ़ सकता था। चुनाव आयोग अभी राज्य में उप चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में तीरथ सिंह रावत के सामने संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाता। उन्हें छ : माह में विधानसभा का सदस्य बनना ज़रूरी था। उन्होंने सबसे बेहतर यही चुना कि सरकार और चुनाव आयोग के बीच कोई तनातनी न हो और उन्होंने अपना त्यागपत्र दे दिया।
मुश्किल से विवादों के बीच वो अपना कार्यकाल सौ दिन से कुछ दिन आगे ही कर पाये थे कि उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा। राज्य में वैसे तो मुख्यमंत्री की दौड़ में कई चेहरे है,लेकिन सतपाल महाराज इनमे से प्रमुख है। जिन्हे दिल्ली बुलाया गया है।
देखना यह होगा कि राज्य के अगले मुख्यमंत्री की बागडौर किसके हाथ में भाजपा आलाकमान सौपता है। अब उसी चेहरे पर अगला विधानसभा चुनाव लड़ा जायेगा।