
– फेस बुक बॉल से साभार
आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है,आप सभी को शुभकामनाएं ! पिछले दिनों देहरादून के एक कार्यक्रम में एक मास कॉम संस्थान के स्वामी ने सवाल पूछा कि हम कैसे अपने स्टूडेंट्स का तालीम दें ? यानि उनका स्लेबस क्या हो ?
मैंने कहा जो पत्रकारिता हम तीस साल पहले सीख के आये है वो एक मिशन थी, जोकि अब डस्टबिन में फेंक दी गयी है, 4 जी और आने वाले 5 जी 6 जी नेटवर्क के ज़माने में हमे स्टूडेंडस को सोशल मीडिया,डिजिटल मीडिया आर्टिफिशल इंटेलीजेंस जैसे विषयों की तालीम देनी होगी,कैसे झूठ का सच बनाये ? कैसे सच को झूठ मे बदले,कैसे राजनीतिक दल,कॉरपोरेट घराने एक दूसरे को आपके मोबाइल पर छवि बनाते बिगाड़ते है ये दांवपेच सिखाने होंगे ? यूट्यूब चैनल कैसे बनाये जाए उनकी दर्शक क्षमता कैसे बढ़ाई जाए,ट्वीटर,इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, फेसबुक ,व्हाट्सअप को कैसे हैंडल करें ?

ये शिक्षा मासकॉम में देने पर विचार होना चाहिए, क्योंकि अब मीडिया सिमट कर मोबाइल फ़ोन पर आ गई है? अखबार टीवी मीडिया का पोर्टल,वेब,एप्प प्रारूप भी अब डिजिटल मीडिया के जरिये आपके मोबाइल पर है और हम अभी भी पत्रकारिता के पुराने थके हुए कोर्स चलाये जा रहे है जिनके अब कोई मायने नही रह गए है।
हाल ही मैं एक मीडिया संस्थान के पत्रकारिता विभाग के बच्चों से जब संवाद हुआ तो ये पता चला कि सौ में से औसतन दो बच्चे रोज अखबार या टीवी न्यूज़ देखते है,तो ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि नई जेनरेशन को पत्रकारिता के रोचक विषयों की जरूरत है..