

काशीपुर – समय रहते कोरोना महामारी से तड़पती जनता की सेवा के लिए मैदान में आए दीपक बाली के सार्थक प्रयासों की अभी तक तो महामारी से जूझते रोगी और उनके तीमारदार ही प्रशंसा कर रहे थे। मगर उनके दिन रात चल रहे निस्वार्थ सेवा भाव को देख अब काशीपुर क्षेत्र के प्राइवेट अस्पताल भी दीपक बाली की प्रशंसा किए बगैर नहीं रह पा रहे हैं।
मुरादाबाद रोड स्थित स्पर्श अस्पताल के निदेशक डॉक्टर रजनीश शर्मा कहते हैं कि कोरोना महामारी के इस दिल दहलाते दौर में दीपक बाली निस्वार्थ जनसेवा के जिस रूप में नजर आए हैं। उसे देखते हुए उन्हें जनसेवक नहीं देवता कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वह वास्तव में दिन-रात हर किसी की सेवा में व्यस्त हैं।
उन्होंने सहयोग कर सरकारी चिकित्सालय में कोरोना अस्पताल चालू करा कर जनसेवा का न सिर्फ बहुत बड़ा उत्कृष्ट काम किया है बल्कि सीमित संसाधनों से जूझ कर तड़पते कोरोना रोगियों को उपचार दे रहे निजी अस्पतालों की ओर भी उन्होंने मदद के हाथ बढ़ाएं हैं। डॉक्टर श्री शर्मा कहते हैं कि उन्होंने दिन हो या रात जब भी श्री बाली से संपर्क किया ,उन्होंने हमारा न सिर्फ मनोबल बढ़ाया बल्कि उपचार से संबंधित जो भी समस्या उन्हें बताई उसका तत्काल निदान कराया। 12 मई को हमारे अस्पताल में एक अत्यंत गंभीर कोरोना रोगी आया, सभी आवश्यक उपकरण पहले से ही भर्ती रोगियों के उपचार में चल रहे थे। इस मरीज की स्थिति अत्यंत गंभीर थी और उसकी जान बचाने के लिए तत्काल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की आवश्यकता थी।
मेरे दिमाग में तत्काल दीपक बाली का नाम आया और जैसे ही मैंने उन्हें रात में फोन मिला कर समस्या बताई तो उन्होंने कहा कि डॉ साहब चिंता मत करो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तुरंत आपके पास पहुंच रहा है,और मात्र 30 मिनट में हमें यह उपकरण मिल गया। रोगी की जान बच गई और दीपक बाली इस रोगी के लिए भगवान सिद्ध हुए।अब तक ऐसे न जाने कितने अनगिनत और अनजान रोगियों की श्री बाली ने जान बचा यी हैं।
निसंदेह ऐसे जनसेवी हम सभी के लिए एक उदाहरण है और मैं उन्हें न सिर्फ सेल्यूट करता हूं बल्कि उनके कुशल ,प्रसन्न ,व स्वस्थ दीर्घायु जीवन की कामना करता हूं । आज जब जनता महामारी से तड़प रही है तो ऐसे में समाज को ऐसे ही दान वीरों की जरूरत है ,क्योंकि कोरोना से डरे जब अपने ही अपनों का साथ छोड़ कर भाग रहे हैं ऐसे में दीपक बाली अनजान रोगियों का भी सहारा बने हुए है । रोगियों को फोन कर उनका हालचाल पूछते हैं और उनके साथ साथ डॉक्टरों का भी मनोबल बढ़ा रहे है। आने वाले समय में भले ही जनप्रतिनिधि या फिर दूसरे लोग समाज सेवा के नाम पर कुछ भी करें मगर जिस समय जनप्रतिनिधि विहीन तड़पती जनता को सहारे की जरूरत थी उस समय दीपक बाली ही निराश जनता का सहारा बने नजर आए।