– नाहिद खान
अमरोहा – उसका जुर्म इतना संगीन था कि उस पर न्याय पालिका ने भी नरमी नहीं बरती है,फोटो में दिख रही इस महिला का नाम है शबनम। देखने में भले ही उसका चेहरा आपको मासूम लगे, लेकिन उसका जुर्म सुनकर आपकी रूह भी काँप उठेगी। प्रेम में फसी इस महिला ने रिश्तो को दरकिनार कर ऐसा भयानक जुर्म कर दिया उसके लिये फाँसी की सज़ा भी कम है।
दरअसल मामला 14 अप्रैल 2008 का है,अमरोहा जिले बावनखेड़ी गॉव के रहने वाले टीचर शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम का सलीम नाम के युवक से प्रेम चल रहा था। जब इसकी जानकारी परिवार को हुई तो उन्होंने इसका खुला विरोध किया। उनको क्या पता था कि जिस बेटी को नाज नखरे के साथ वो पढ़ा लिखा रहे थे ,वही एक दिन उनकी कातिल बन जायेगी। परिवार का विरोध शबनम को बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर भयानक षड्यंत्र रच डाला।
घटना के दिन शबनम ने अपने परिवारजनों को नशीली दवा खिला कर बेहोश कर दिया और रात को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर इस कातिल ने अपने ही परिवार के सात सदस्यों जिनमे इसके माँ, बाप,भतीजे भी शामिल थे,सबकी कुल्हाड़ी से गला काट कर हत्या कर दी थी। जिससे देश भर में सनसनी फैल गई थी। पुलिस ने इस मामले में शबनम और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में अमरोहा जिला न्यायालय द्वारा शबनम और सलीम को मृत्यु दंड दिया गया था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती के बाद भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। राष्ट्रपति द्वारा भी दया याचिका ख़ारिज कर दी गई है। ऐसे में अब सज़ा पर अमलीजामा पहनाया जाना बचा है। देश में यह ऐसा पहला मामला था कि किसी संगीन जुर्म में किसी महिला को फ़ासी की सज़ा सुनाई गई है। हालांकि अभी फाँसी की तारीख मुक़र्रर नहीं हुई है। लेकिन शबनम को फाँसी देने की तैयारियां शुरू हो गई है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा में एकलौता महिला फाँसीघर है,जिसे ब्रिटिश काल में सन 1870 में बनाया गया था। लेकिन भारत में आज़ादी के बाद से अभी तक यहां किसी महिला को फाँसी नहीं दी गई है। शबनम को फ़ासी देने के लिये पवन जल्लाद मथुरा फ़ासी घर का दौरा कर चुका है,जहाँ उसने जीर्ण शीर्ण फाँसी घर को दुरुस्त करवाया है। जैसे ही शबनम के ‘डेथ वारंट’ पर हस्ताक्षर हो जायेंगे। उसके बाद शबनम को फाँसी के फंदे पर चढ़ाया जायेगा।