– अज़हर मलिक
जसपुर – यह दृश्य 1947 की किसी मुम्बइया फिल्म का नहीं है,बल्कि यह उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के जसपुर के एक ऐसे गॉव भोगपुर डाम क्षेत्र का है। जहाँ देश की आज़ादी के बाद भी आजतक मूलभूत सुविधाएं से बंचित है। यह गॉव अभी तक राजस्व गांव की सूची में ही दर्ज नहीं है। जिसकी वजह से यह गॉव सरकारी सुविधाओ से वंचित है। यहां,सड़क,बिजली,पानी और दूसरी ज़रूरी सुविधाओं के लिये ग्रामीण तरस रहे है।
इस गॉव की तस्वीरें देख कर आपको यह कोई फिल्म के किस 1947 के बॉर्डर का सेट जैसा दिखता होगा। लेकिन कड़वी हकीकत यह है कि ‘डिजिटल भारत’ का एक गॉव का ऐसा भी है। देश को आजाद हुए 73 साल हो चुके हैं, आज भी जसपुर विधान सभा के भोगपुर डाम इलाके के तीर्थ नगर के ग्रामीण अपनी जिंदगी बिना सरकारी सुख-सुविधाओं के जिंदगी जीने को मजबूर है। यहां ज़्यादातर कच्चे मकान है,इन्ही अपनी दुनिया चला रहे है।
एक तरफ तो सरकार बिजली, पानी, सड़क, शौचालय की योजनाओ को घर घर तक पहुंचाने का ढिंढोरा पीट रही है,वही इन सब योजनाओ से यहां के ग्रामीण कोसों दूर हैं। आप इसी से अंदाज़ा लगा सकते है विपन्नताओ के इस गॉव में न तो यहां रहने के लिए पक्के मकान है,न ही चलने के लिए सड़क, न ही शौच करने के लिए शौचालय, ओर न ही उपचार के लिए अस्पताल, बस चुनाव के दौरान ही नेता यहां वोटों की भीख मांगने आते हैं और फिर जीतने के बाद पलट कर देखते भी नहीं है।
समीपवर्ती तीर्थ नगर के मिले हुए गांव के प्रधान का कहना है कि ग्रामीण सभी सुख सुविधाओं से वंचित है। केंद्र की मनरेगा योजना का इन लोगों को फायदा नहीं मिलता है, प्रधान का कहना है कि पूर्व विधायक ने तो यहां पर कुछ सड़कों का निर्माण कराया था ,किन्तु वर्तमान विधायक ने कुछ नहीं किया। इस गॉव को राजस्व गांव घोषित किया जाये अन्यथा किसी ग्रामसभा से अटैच कर दिया जाए, जिससे इन लोगों को सुविधाएं मिल सके।
वही जसपुर के विधायक आदेश चौहान का कहना है कि इस गॉव को राजस्व भूमि होने की वजह से सुख सुविधाये नहीं मिल रही है,इसे किसी अन्य पंचायत से जोड़ा जाना चाहिए जिससे इन्हे साड़ी सुविधाएं मिल सके।
उन्होंने भाजपा सरकार को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि तुमरिया डाम को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार की अच्छी सोच नहीं है। उन्होंने कई पत्र लिखे है,मगर सरकार ने कुछ नहीं किया।