


काशीपुर – उसका नाम ‘संजीवनी हॉस्पिटल’ है,उसने सच में क्षेत्र के इलाज कराने आये मरीज़ो के लिये ‘संजीवनी’ का काम किया है। आज जिले भर में इस अस्पताल के प्रबंधको के उस निर्णय की चर्चा हो रही है,जिसमे उन्होंने घोषणा की है कि उनके अस्पताल में आने वाले किसी भी मरीज़ का पहले अच्छे से इलाज किया जायेगा,फिर उससे पैसो की बात होगी।
जी है ! यह सच है,ऐसा संजीवनी निर्णय अगर सब अस्पताल ले ले, तो गरीबो को अपने इलाज के लिये दर दर नहीं भटकना पडेगा। सरकारी अस्पतालों के हाल बेहाल है,यहाँ तो सिर्फ मरीज़ो को दूसरे अस्पतालों में रेफर ही किया जाता है। एक तरह से सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर बन कर रह गये है। जबकि आम गरीब आदमी प्राइवेट अस्पतालों में जाने से डरता है,क्यों कि वहा मरीज़ को देखने से पहले मोटी फीस जमा करने की डिमांड पहले होती है।

हालांकि काशीपुर की अकेले बात करे तो यहां निजी अस्पतालों की भरमार है,लेकिन ज़्यादातर अपनी फीस को प्राथमिकता देते है। ऐसे में संजीवनी हॉस्पीटल के संचालक मुकेश चावला ने अनूठी पहला कर पहले फीस लेने का झंझट ही ख़तम कर दिया है। उन्होंने सबसे पहले उनके अस्पताल आने वाले मरीज़ो के इलाज करने की पहल की है।
आपको बता दे प्राइवेट अस्पताल गरीब मरीज़ो की मजबूरी का नाजायद फायदा उठा कर उनको लाखो रूपये का भारी भरकम बिल थमा देते है। ऐसे में बेचारे गरीब को अस्पताल का बिल जमा करने के लिए क़र्ज़ लेना पड़ता है या फिर अपनी ज़मीन जायदाद को बेचना पड़ता है। गरीब मरीज़ो के लिए संजीवनी हॉस्पिटल के संचालक मुकेश चावला की यह पहला शहर के गरीबो के लिए संजीवनी बन गई है। यहां इमरजेंसी ट्रामा यूनिट शुभारंभ किया गया है,जहा मरीज़ो का पहले इलाज होगा। इसके लिये अस्पताल के डाक्टरों की टीम गठित की गई है। जो 24 घंटे आने वाले किसी भी मरीज़ के लिये हमेशा तैयार रहेगी। डाक्टरी पेशा ऐसा धर्म है जिसमे मानवता सबसे ऊपर है। संजीवनी हॉस्पीटल ने संजीवनी बन कर ऐसे रूप को साकार कर दिया है।

संजीवनी हॉस्पिटल के संचालक मुकेश चावला ने ‘इंडिया नज़र’ को बताया कि अब हमने उस परंपरा को तोड़ दिया है,जहाँ मरीज़ को भर्ती से पहले फीस जमा कराई जाती थी,हमारे अस्पताल ने शपथ ली है कि पहले मरीज को देखा जायेगा,फिर होगी पैसों की बात।