


एडवोकेट हाई कोर्ट इलाहाबाद
हम सभी को कभी न कभी FIR लिखाना ही पड़ जाता है,चाहे खुद के लिये या किसी जानने वाले के लिये। अक्सर लोगो की शिकायत होती है कि उनकी FIR थाने में नहीं लिखी गई, या फिर मजिस्ट्रेट के यहाँ FIR के लिये किया गया आवेदन निरस्त हो गया। इसके तो कई कारण होते है किंतु एक कारण ये भी होता है कि आपके लिखने तरीका गलत हो। FIR को कम से कम शब्दों में स्पष्ट और पूरे मामले को लिखना चाहिये, क्योंकि न्यायालय में आपका केस इसी आधार पर चलता है सबसे पहले आप एक सादा पेपर ले और उसपर 1 से 9 तक नंबर लिख ले, फिर उन
सब के सामने K लिख ले, बस हो गया आपका FIR 9K का मतलब होता है आप नीचे पढ़ेंगे तो स्वतः स्पष्ट हो जायेगा।
(1) घटना कब की है – (तारीख और समय) – FIR में आप घटना के समय और तारीख की जानकारी लिखे l
(2) घटना कहाँ हुई (जगह) – घटना कहाँ पर हुई इसकी जानकारी दे।
(3) घटना किसने की – अपराध किस ब्यक्ति ने किया (ज्ञात या अज्ञात) एक या अनेक ब्यक्ति उसका नाम पता आदि लिखे ।
(4) किसको साथ हुई घटना – किस के साथ अपराध किया गया एक पीड़ित है या अनेक उन सब का नाम व पता।
(5) किसलिये – यह एक मुख्य विषय होता है, इसी से यह पता चलता है कि कोई कार्य अपराध है या नहीं है।
(6) किसके सामने हुई घटना – ( गवाह) – अगर घटना के समय कोई मौजूद हो तो उनकी जानकारी अवश्य देनी चाहिये।
(7) किससे ( हथियार) – अपराध करने के लिए किन हथियार का प्रयोग किया गया (पिस्तौल , डंडे, रॉड, चैन, हॉकी, ईट। अगर कोई धोखाधड़ी का मामला है तो आप (स्टाम्प पेपर, लेटरहेड, इंटरनेट, मोबाइल, आदि,) जानकारी जरूर प्रदान करे।
(৪) किस प्रकार क्या प्रकरण अपनाया गया अपराध करने के लिये उसको लिखे।
(9) क्या किया (अपराध)- इन सभी को मिलकर क्या किया गया, जो की अपराध होता है उसको लिखे।
(इस मैसेज को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें,ताकि साधारण लोगों को भी इसकी जानकारी हो सके)