


ऊधम सिंह नगर : उत्तराखंड के किसानो के हक की लड़ाई लड़ने वाले पूर्व दर्जा राज्य मंत्री और कांग्रेस नेता डा गणेश उपाध्याय ने वर्ष 2018 में हाई कोर्ट उत्तराखंड में किसानो की परेशानी को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसपर हाई कोर्ट द्वारा किसानो के हितो में फैसला दिया था,किंतु राज्य सरकार ने इसे अभी तक लागू नहीं किया है। इसक लेकर डा गणेश उपाध्याय ने उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव पर अवमानना का केस दायर किया है।

डा गणेश उपाध्याय का कहना है कि यदि हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार के साथ साथ यदि इस निर्णय को पूरे देश के किसानो पर लागू किया जाता तो आज किसान सड़कों पर आन्दोलन करने को मजबूर नहीं होता। नैनीताल हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद शर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को तीन माह के भीतर किसान आयोग गठित करने के आदेश दिए थे। साथ ही फसल बीमा,न्यूनतम समर्थन मूल्य,गोदामों की सुविधा के साथ ही खेती के लिए मोबाइल एप बनाने को कहा था। कोर्ट ने ख़ुदकुशी करने वाले किसानो के परिवारों को भी मदद करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के मुताबिक़ फसलों के औसत मूल्य का तीन गुना अधिक समर्थन मूल्य घोषित करने के आदेश दिए थे। सरकार को भंडारण के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था करने को कहा था। कोर्ट के किसानो को 48 घंटे में फसल के भुगतान के आदेश को लागू करने की जगह भाजपा सरकार किसानों को एसडीएम कोर्ट में जाने की बात कहकर अपनी खिल्ली उड़वा रही हैं। लेकिन सरकार ने इन आदेशों को अभी तक लागू नहीं किया है। उपाध्याय का कहना है कि सरकार किसानो के हितो के इस निर्णय को धरातल पर उतार देती तो किसानो को किसी आंदोलन की ज़रुरत नहीं पड़ती।
डॉ० गणेश उपाध्याय किसान नेता ने कहा कि पूरे देश का अन्नदाता खेतों से लेकर सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रहा है। भाजपा सरकार तीनों कृषि कानूनों में कॉरपोरेट को फायदा कराकर किसानों की गाढ़े पसीने की फसल की बंदरबाट करवाने की पूरी तैयारी थी। किसानों को बेवकूफ समझने वाली भाजपा सरकार की होशियारी अन्नदाता ने सड़को पर लेटकर फेल कर दी है। करोड़ों त्रस्त अन्नदाता अपनी फसल के मूल्य की गारंटी मांग रहा है, मोदी जी किसानों को लूटने के तरीकों के कागज के पुलिंदे थमा रहे है। किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा देने के लिए बनाये कानूनों को तुरन्त रद्द किया जाना चाहिए।
