


जसपुर : देश की लकड़ी मंडी के रूप में मशहूर उत्तराखंड की जसपुर मंडी इन दिनी वीरान पड़ी है,कोरोना ने इन कारोबारियों के सामने रोटी रोज़ी का संकट खड़ा कर दिया है। कभी यहां देश के सभी राज्यों में लकड़ी जाती थी,किन्तु कोरोना ने ऐसी मार मारी कि अब लकड़ी का धंधा पूरी तरह मंदा हो गया है। लकड़ी कारोबारी और उनसे जुड़े मज़दूर बुरी तरह टूट गए है। कब उनका धंधा फिर से चमकेगा कोई नहीं जानता ?
(टिम्बर बाजार अब धंधा मंदा)
जहा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर बनने का मन्त्र देकर लोगो को प्रोत्साहित कर रहे है। वही उत्तराखंड की जसपुर की लकड़ी मंडी में लगभग 85% लोग आत्मनिर्भर थे। लेकिन कोरोना काल ने आत्मनिर्भर बने लोगों की दयनीय स्थिति ला दिया है। लेकिन इनकी फ़रियाद कोई सुनने वाला नहीं है। आज यह आत्मनिर्भर लोग ही अपना जीवन यापन करने के लिए मोहताज़ है।
उत्तराखंड की पहचान देवभूमि की है,लेकिन उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले जसपुर क्षेत्र में लकड़ी मंडी से भारत के अंदर अपनी एक अलग पहचान बना रखी है। जसपुर की स्थापना चन्द्र वशं के सुप्रसिद्ध सेनापति यशोधर सिंह अधिकारी ने की थी। सुरम्य पहाड़ियों की तराई के मैदानी इलाके में बसा जसपुर लकड़ी के कारोबार के लिये जाना जाता है। यहां पहाड़ी वन क्षेत्रों से साल, सागौन, शीशम, पॉपलर, लिप्टिस के कीमती लकड़ी उपलबध हो जाती हैं। जो वन डिपो के माध्यम से जसपुर के कारोबारी खरीद कर देश में अलग अलग हिस्सों में सप्लाई करते है। अधिकाँश यहां निवास करने वाले ज़्यादातर लोग लकड़ी के छोटे बड़े व्यापार से जुड़े है। यानी कि अस्सी से पिच्चासी प्रतिशत लोग इस कारोबार पर ही निर्भर है।

आप इनकी कारीगरी के मुरीद हुए बिना भी नहीं रह पायेंगे,यहां के कारीगर लकड़ी के कार्य के इतने निपुण है कि लकड़ी को हाथ से तराश कर उसे आकर्षित सुंदर बना कर भारत के कोने कोने में निर्यात करते है। लेकिन कोरोना वायरस के आते ही आत्मनिर्भर बने लोगों के कारोबार पर फुल स्टॉप लगा दिया। लकड़ी कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि अपने जीवन में उन्होंने ऐसी मंदी का दौर कभी नहीं देखा है। इस संकट की घडी में सरकार भी उनको कोई आर्थिक सहायता प्रदान नहीं कर रही है।

(टिम्बर कारोबारी)
वहीं वन विभाग के डिपो अधिकारी का कहना है पहले जसपुर क्षेत्र से लकड़ी का चिरान माल कोरोना काल से पहले 1 दिन में लगभग 15 से 20 गाड़ियां जसपुर क्षेत्र से निकलती थी। लेकिन अब 1 , 2 गाड़ियां लोकल उत्तराखंड में ही जाती है। कोरोनावायरस ने कारोबार पर बड़ी चोट पहुंचाई है। जिससे वन विभाग के रेवेन्यू पर काफी गिरावट आई है।