– नाहिद खान सम्पादक
नैनीताल – उत्तराखंड में सरोवरनगरी के नाम से मशहूर पर्यटक नगरी नैनीताल का आज 179 वा बर्थडे है। लेकिन कोरोना काल के वजह से बहुत ज़्यादा उल्लास तो नहीं है। फिर भी सरोवरनगरी में सर्वधर्म गुरुओं ने देेश राज्य और नैनीताल की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।इसके बाद सभी धर्मों के लोगों ने केक काटकर नैनीताल का जन्मदिवस सादगी से मनाया।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 18 नवंबर 1841 में पीटर बैरन नाम के पहले अंग्रेज के कदम नैनीताल में पड़े थे। इस आधार पर ही कुछ वर्षों से इस दिन नगर का ‘जन्मोत्सव’ मनाने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि उनका मानना है कि नैनीताल18 नवंबर 1841 से पूर्व भी अस्तित्व में था। स्कंद पुराण में यहां के सरोवर को मानसरोवर के समान पुण्य प्रदान करने वाला ‘त्रिऋषि सरोवर’ कहा गया है।
वहीं 1841 से 18 वर्ष पूर्व 1823 में इस स्थान के बारे में आलेख प्रकाशित हो चुका था और 1823 के अंग्रेजी दौर मानचित्र में भी इस स्थान को प्रदर्शित किया गया था। यह भी कहा जाता है कि 1841 में आज ही के दिन यानी 18 नवंबर को हुए एक घटनाक्रम से इस नगर का बनना प्रारंभ हो गया था। आज ही के दिन नगर में एक अंग्रेज शराब व्यवसायी पीटर बैरन के कदम पड़े थे, जिसने इस नगर में अपने घर पिलग्रिम लॉज के साथ आधुनिक स्वरूप में बसासत की शुरुआत की, और ‘नोट्स ऑफ वांडरिंग इन द हिमाला’ में इस नगर का एक तरह से विज्ञापन कर यहां बसने के लिए अंग्रेजों को आमंत्रित किया। लेकिन अब यह नगरी देश ही नहीं वरन विदेशो में भी अपनी आभा बिखेरती है और हर साल सैलानी आते रहते है।