– प्रदीप बंसल
वर्ष 2020 की यह दिवाली पिछले सालो से मनाई जा रही दिवाली से बिलकुल अलग है,पूरे विश्व में कोरोना वायरस फैलने से भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। ऐसे में यह दिवाली पिछले सालो की अपेक्षा काफी फीकी है। कारोबार काफी मंदा है,बाज़ार में पहले जैसी चहलपहल नहीं है। लेकिन इसके बाद भी हर साल मनाया जाने वाला यह त्यौहार अपने पूरे शबाब है।
वैसे यह त्योहार परिवार और रिश्तेदारों में खुशिया बाटकर मनाने का है,लेकिन आज की युवा पीढ़ी सिर्फ पटाखे बजाने को ही दीवाली का पर्व मानती है। लेकिन पटाखों से होने वाले प्रदूषण से सारा वातावरण ज़हरीला हो जाता है। जिसके बहुत बुरे दुष्परिणाम सामने आने का ख़तरा हमेशा मंडराता रहता है। ज़्यादा प्रदूषण लेने में दिक्कत होती है। अस्तमा होने का डर बना रहता है और घर के बुजुर्गो भी ध्वनि और वातावरण प्रदूषण सकते है। पटाखों से दूर रहकर भी दीपावली का पर्व मनाया है। परिवार के सुखद एहसास के लिये ज़रूरी है कि तेज़ी से वायु प्रदूषण को रोकने की दिशा में हम सब मिलकर अपने विचार दूसरो से सांझा करे। साथ ही जागरूकता फैलाये जिससे हम अपने वायुमंडल को बचा सके।
यही नहीं,अगर इस दीपावली के प्रकाशोत्सव पर आप किसी गरीब की मदद करते है,तो इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। आप को अलग सुखद एहसास होगा। साथ ही आप अपने घर के आसपास बृक्षारोपण करे। जिससे पर्यावरण में सुधार होगा।
भगवान् श्री राम के बनवास से वापस अयोध्या लौटने पर शुरू हुई थी दीपावली की परम्परा
सनातन धर्म की मान्यता है कि दिवाली के दिन ही श्री राम जी वनवास से अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वापस लौटने की खुशी में ही दीपावली मनाई गई थी। मंथरा की गलत विचारों से भ्रमित होकर भरत की माता कैकई ने श्री राम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनबद्ध करा दिया था। मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने पिता के आदेश को मानते हुए अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षो का वनवास काटा था। अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद श्री राम जी दिवाली के दिन अयोध्या वापस लौटे थे। राम जी के वापस आने की खुशी में पूरे राज्य के लोग रात में दीप जलाये थे और खुशियां मनाई थी। उसी समय से दिवाली मनाई जाती है।
इस साल भगवान् श्री राम की अयोध्या नगरी में भी उत्तर प्रदेश सरकार भव्य दीपोत्सव का आयोजन कर रही है। सरकार भव्य राम मंदिर के निर्माण में भी लगी हुई है। भविष्य में जब देश कोरोना मुक्त होगा तो इस दीवाली का उत्सव बहुत जोशोखरोश से होगा।