– इंडिया नज़र ब्यूरो
नई दिल्ली : लगता है ‘लक्ष्मी’ फिल्म पर दीवाली से पहले लक्ष्मी जी प्रसन्न नहीं हुईं शनि की कोप दृष्टि पड़ गई इसलिए ये औंधे मुंह गिरी है। पहले खिलाड़ी कुमार के रूप में मशहूर रहे और फिर दूसरे भारत कुमार बनने की कोशिश में लगे रहे अक्षय कुमार के अभिनय के नकलीपन को दर्शाती असली फिल्म है।
इस फिल्म में अक्षय का किरदार बहुत अच्छा था लेकिन एक्टिंग ऐसी थी की शायद ये फिल्म अक्षय की अब तक की सबसे खराब फिल्म है। जिस फिल्म का यह रीमेक है अगर आपने वे फ़िल्में यानि ‘मुनी’, ‘कंचना’, ‘गंगा’ और ‘काली’ हिंदी में डब होने के बाद देख रखी है तो ‘लक्ष्मी’ आपको एक बहुत ही दोयम दर्जे की फिल्म लगेगी। जो काम असल फिल्मों में इसके निर्देशक राघव लॉरेंस ने बतौर अभिनेता खुद किया, वह काम यहां अक्षय कुमार करने की कोशिश करते दिख रहे हैं, गले की नसों को खींचकर और सीने के सफेद हो चुके बालों को दिखाकर।
लेकिन, हवा का रुख बदलने से पहले ही उसकी दिशा भांप लेने में अक्षय को महारत हासिल है। यकीन न हो तो प्रियंका चोपड़ा औऱ अदिति राव हैदरी से पूछ सकते हैं। लेकिन, होशियार अक्षय इस बार औंधे मुंह गिरे हैं। काम के लिए निकलते समय ‘दो गज की दूरी, मास्क जरूरी’ की विज्ञापन फिल्म लॉकडाउन खत्म होते ही सबसे पहले शूट करने वाले अक्षय ने जब अपनी फिल्म के लिए दिल्ली आकर न दो गज की दूरी रखी और न ही मास्क लगाना जरूरी समझा, तभी दर्शकों को समझ आने लगा था कि फिल्म के लिए इतनी बेताबी की आखिर वजह क्या हो सकती है।
अक्षय कुमार ने पूरी फिल्म में बहुत ही वाहियात एक्टिंग की है। जवानी के दिनों में ‘हेराफेरी’ जैसी फिल्मों में उनका चीखना चिल्लाना सुनील शेट्टी और परेश रावल जैसे कलाकार संतुलित कर लेते थे, लेकिन बुढ़ापे में उनके पास अपना खुद का ही सहारा है। फिल्म में दूसरा कोई कलाकार नहीं जो उनका फैलाया रायता समेट सके।