एक्सक्लूसिव
– नाहिद खान
ऊधम सिंह नगर : जिले में अगर आप को अपने आशियाने के लिए कोई भूमि का प्लाट खरीदना चाहते है,या बना बनाया मकान ,फ्लैट विला लेना चाहते है तो हो जाये सावधान ! आजकल बिना किसी कानूनी औपचारिकताओ के चित्र विचित्र नाम से कालोनी काटने वालो की भीड़ लगी हुई है। ऐसी ज़मीन का न तो 143 कराया गया है अर्थात भूमि को कृषि से अकृषि नहीं कराया गया है और न ही विकास प्राधिकरण से मानचित्र ही स्वीकृत कराया गया है। अगर आप ऐसे किसी कॉलोनाइजर से ज़मीन खरीदते है,तो आपकी मेहनत की गाडी कमाई इन फ़र्ज़ी कोलोनाइज़ारो के पास फस जायेगी।
अगर आपको ज़मीन का प्लाट खरीदना है तो पहले इन सब नियमो की जानकारी कर ले। उसके बाद ही कोई प्लाट खरीदे।
नंबर एक तो जमीन खरीदने से पहले क्रेता को चाहिए कि वह उस जमीन से सम्बन्धित राजस्व विभाग/तहसील जाकर भूस्वामित्व की तस्दीक कर ले,कि जो व्यक्ति आपको प्लाट बेच रहा है। उसका भूमि पर स्वामित्व है अथवा नहीं ? जिसके नाम यह भूमि है वो उस पर काबिज़ भी है या नहीं। कही भूमि पर कोई विवाद तो नहीं है । बैंक में बंधक तो नहीं रखी गई है ?
दूसरे नंबर पर भूमि से सम्बन्धित कागजात खसरा/खतौनी (जमीन/भू-भाग का नम्बर) जो कि राजस्व विभाग द्वारा आंवटित किया गया हो उसको भली-भाँति जाँच कर आस-पास स्थित भूमि के खसरा नम्बरों से मिलान कर लें व राजस्व विभाग से उक्त सजरा( भू-भाग का नक्शा न0 सहित) से मिलान जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें।
तीसरा सबसे पहले 12 साला चेक कर ले यह आपको तहसील के रिकार्ड से पता चल सकता ये वो कागजात हैं जिससे पता चल जाएगा कि यह जमीन किसकी है व कितने साल से उक्त जमीन पर काबिज और किस-किस व्यक्ति के नाम वह जमीन उसके नाम पर चली आ रही है।
प्लाट खरीदने से पहले विक्रेता पूर्व विक्रेता के बारे में आस-पड़ोस से अथवा पूर्व में कहाँ का निवासी है और उक्त जमीन पर कब से मालिक व काबिज है के बारे में जानकारी ले ले।
अगर आप किसी डीलर,एजेंट,या बिचौलिये के माध्यम से ज़मीन मकान खरीदते है। तब उसके वारे में जानकारी प्राप्त कर लें कि वह किस प्रकार का व्यक्ति है। यह भी भली-भाँति जानकारी हासिल कर लें की उस एजेंट द्वारा रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डिवेलपमेंट एक्ट, 2016 RERA) में रजिस्ट्रेशन कराया गया है या नहीं। कही ऐसा न हो कि गलत फ़र्ज़ी डीलर या बिचौलिया अपने कमीशन के लालच में आपको फसा दे।
इसके अलावा भूमि की कुर्रेबन्दी भी देख ले। जो भूमि सयुंक्त खाते की होती है। उसको समस्त संयुक्त खातेदारो द्वारा विधिक रुप से राजस्व विभाग से बटबारा वाद के जरिए सब खातेदारो के अलग-अलग खाते तैयार करवाया जाता है। विधिक रूप से संयुक्त खातेदार अपने खाते की भूमि/सम्पत्ति को विक्रय करने के लिए स्वतंत्र हो। लेकिन अगर आप संयुक्त खाते की भूमि खरीद रहे है तो सभी खातेदारों की सहमति ज़रूरी है। विक्रय पत्र पर सभी के हस्ताक्षर करवा ले। या संयुक्त खाते की सम्पत्ति को एक खातेदार से खरीदने से पूर्व समस्त खातेदारों की अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) अथवा उन्हे रजिस्ट्री का भाग बनाया जाना आवश्यक है। ताकि अन्य खातेदार भविष्य में क्रेता को चुनौती न दे पायें।
अब निबंधक कार्यालय में भूमि के वास्तविक स्थल के फोटो लगने लगे है। जमीन खरीदते समय रजिस्ट्री में लगने वाला फोटो वास्तविक स्थल का ही खिचवाये और उसे गूगल मेप से सत्यापन कर ले।
साथ ही जमीन खरीदते समय विक्रय पत्र में दर्शित चौहदी (उत्तर,दक्षिण,पूरब,पश्चिम में स्थित सम्पत्ति) जरुर वर्णित करें तथा उक्त दिशाओं में कौन काबिज है। मौके पर जाकर भी पता कर ले जो चौहद्दी बताई जा रही है वो सही है या नहीं।
यदि जमीन किसी विशेष समुदाय(SC/ST) की है तो जिलाधिकारी से भूमि क्रय करने की की अनुमति आवश्यक है ।
खरीदने वाले प्लाट या फ्लैट का भुगतान हमेशा चैक अथवा RTGS से जमीन के मूल मालिक के नाम पर ही करें। किसी दूसरे व्यक्ति को न करे और न ही केश में भुगतान करे।
यदि आप पावर पॉवर ऑफ अटॉर्नी से कोई भूमि खरीद रहे है तो उसके मूल खातेदार से ज़रूर बात कर ले कि वो पावर ऑफ़ अटार्नी सही है अथवा फ़र्ज़ी। भूमि प्लाट का एग्रीमेन्ट हमेशा रजिस्टर्ड ही करायें।
अगर आप ने इन सब बातो का ध्यान रखा तो कोई भी आपकी मेहनत की गाडी कमाई को लूट नहीं सकेगा और आप का घर बनाने का सपना साकार होगा।
‘इंडिया नज़र’ आपको ऐसे ही फ़र्ज़ी धंधे बाज़ो से सावधान करता रहेगा ताकि आप किसी मुश्किल में न फसे।